Friday, December 11, 2009

तेल का उबाल.......


सरकार की मंहगाई कम करने की नीति कुछ ऐसी है...जैसे की गरीबी हटाने की...जिसमें गरीबी तो कम लेकिन गरीब जरूर कम होते जा रहे हैं...... सच कहे तो सरकार अपने ही नीतियों में उलझ कर रह गयी हैं....मुद्रास्फिती है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रही...पर सरकार अपने इन नीतियों के सफाई में बस इतना कह रही हैं कि हम प्रयास कर रहें हैं. पर समझने की बात ये हैं कि सरकार महगाई की आग शांत करने का प्रयास कर रही हैं या फिर आग में घी डालने का.. क्योकि बीते हफ्ते थोक मूल्य सूचकांक बढ़ कर लगभग 20 फीसदी हो गया.....जो मंहगाई को हाथ से निकलता हुआ बता रहा हैं। वही दूसरी तरफ कच्चे तेल के दाम ने इसमें तड़के का काम किया.. जो बढ़कर 140 डालर प्रति बैरल के पार पंहुच गया... जो ये चीख कर बता रहा हैं कि आने वाले समय में महगाई कम तो होने से रही। और अब इस पर भी अगर सरकार मंहगाई कम करने की बात कह रही हैं...तो ये जनता के आखों में धूल झोंकने जैसा ही होगा.
सौरभ कु. मिश्र

1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

जनता का दौहन किया जा रहा है.....