Tuesday, September 15, 2009
इक टीस............. विश्वास की !
आज दिल को कुछ हुआ है,
क्या कोई धोखा हुआ है ?
हर तरफ यू शोर है ,
फिर मेरा दिल क्यों मौन है ?
आखिर दिल चाहता क्या है ?
इस दिल में छुपा कौन है ?
दर्द की हर टीस में प्रश्न है,
उतर देने वाला कोई निकट नहीं ,
ये जीवन की है विकट घडी .
क्या जिसको बचपन से चाहा
उसने ही मुझ को छला है?
नहीं-२ ये दिल नहीं मानता तो
मन में कैसा शोर भला है ?
जिसका हाथ पकड़ कर साथ रहा
जिसको दिल ने अपना है कहा,
फिर ये दिल उसी की टीस से
बेजार क्यों होने लगा हैं ?
क्या उसके प्रति विश्वास खोने लगा है ?
जाने क्या हुआ मुझे जो
दिल में ऐसे अशुभ विचार आता है,
मन न जाने किस अनहोनी से घबराता है ?
अब तो ये प्राथना है की,
हे इश्वर !
जिसे जीवन की हर घडी चाहा
उसका प्यार और विश्वास मिले,
दिल में खुशियों की लहर हर रोज़ चले .
आपका
सौरभ मिश्र (गोरखपुरिया )
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2 comments:
जिसे जीवन की हर घडी चाहा
उसका प्यार और विश्वास मिले,
दिल में खुशियों की लहर हर रोज़ चले .
बहुत ही सुन्दर मन के भाव है .....जो शब्द के माधयम से बोल रहे है ........आमीन
एक दर्द सा उठता है दिल में
एक आह उभर सी आती है
जब याद तुम्हारी आती है ,
जब याद तुम्हारी आती .
सुन्दर रचना
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