जब शरीर में कोई व्याधि होती हैं तो वो अपने साथ ओर भी मुश्किलें लें कर आती हैं .
कुछ ऐसा ही हुआ अर्थव्यवस्था के साथ , जब मुद्रास्फिती अपने चरम पे थी तो हम उसके कम होने की बात करते थे। स्फति कम तो हुइ पर अपने साथ नयी समस्या मंदी को ले कर आ गई। जो कुछ ज्यादा ही भयानक रुप लेती जा रही हैं । इस मंदी ने पूरे विश्व में हाहाकार मचा रखा हैं। सच कहें तो पूरी ग्लोबल इकानमी ही इस मंदी राक्षस के
मुंह में समाती जा रही हैं । सरकार नित नये प्रयास करती जा रही हैं पर उसका कुछ खास़ असर नहीं दिखाई देता। और इन सब समस्याओं में घी डालनें का काम कर रहा हैं
यें जेहादी आतंकवाद । जिसकी चपेट में आये हमारे बहुत से उघोग गर्त में जा रहें हैं। आतंकवाद का हौव्वा इतना भयावह हैं कि उसने IPL मैचों पर भी अपना असर दिखा दिया। जिसके परिणाम स्वरुप गृहमंत्रालय ने इसे रद्द करने की ठान ली। मंत्रालय VS बी सी सी आई के इस बहस में IPL मैंचों के आयोंजन से भारत को हाथ धोना पड़ा , जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए पुनः एक दुखद घटना हैं। जिसकी भरपाई के लिए सरकार को अधिक मशक्कत करनी पडे़गी। क्योकिं अर्थव्यवस्था में घटित हो रही घटना
(मंदी) की तुलना यदि हम 1930 से करे तो इसे हम कहीं ज्यादा बड़ा पाते हैं। जिसकी पुष्टि स्वयं वर्ल्ड बैंक के प्रेसिडे़न्ट ने करते हुए कहा हैं कि इस साल अर्थव्यवस्था में 1 से 2 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिल सकती हैं। साथ ही ये बताया कि ‘’दूसरे विश्व युद्ध के बाद पूरी दुनिया में ऐसी बुरी आर्थिक हालत कभी भी देखने को नहीं मिली थी और इसका मतलब है कि हम घोर आर्थिक मंदी के दौर में पहुंच रहें हैं।‘’ भारत भी इस मंदी की चपेट से बचा नहीं हैं ये बात तो सर्वविदित हैं। जिससे कुछ हद तक लड़ने के लिए IPL हमारे पास अच्छा हथियार था । परन्तु इसके सुरक्षा को देखते हुए इसे देश के बाउड्री के बाहर भेजा जा रहा हैं। जो कि अर्थव्यवस्था के लिए तगड़ा झटका हैं। आप सोंच रहें होगें कि IPL किस तरह अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता हैं। तो मैं आप के यादास्त के पन्नों को पलट कर ये याद दिलाना चाहता हूँ कि 26/11 के अनहोनी ने
भारतीय अर्थव्यवस्था के उघोगों को गहरा झटका दिया । इस आग में सबसे ज्यादा होटल, पर्यटन और इससे जुड़े उधोगों को झुलसना पड़ा। इस पर तात्कालिक IPL आयोजन मरहम का काम कर सकता था। परन्तु सरकार के ढुलमुल रवैये ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का जो काम किया हैं निकट समय में उसे स्वंय ही उसकी भरपाई करनी पड़ेगी। इस आयोंजन सें जहाँ सरकार को करोंडों का लाभ होता वही भारतीय मंद पड़े उधोगों कों बूम करने का मौका मिलता । पर यहाँ अब लाभ शब्द का
कोई सारोकार नहीं रहा क्योंकि सरकार के हो रहे करोंड़ो के घाटे के साथ-साथ इस आयोजन से जुड़े सभी उघोग व उघोगपतियों को भी घाटा होने वाला हैं। इसका सीधा प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा । यें वहीं उघोगपति हैं जों बड़ी मात्रा में
अर्थव्यवस्था में निवेश करते हैं। इसके इतर देशवासियों के भावनाओं की भी क्षति होगी।
क्योंकि देशवासियों की यें इच्छा है कि IPL का आयोजन अपने ही देश मे हो। पर देश में ना होना तो दुर्भाग्यपूर्ण तो हैं ही साथ ही इस घटना ने देश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी उगली उठाई हैं। कि जब सरकार इन 11 टीमों की सुरक्षा करने में ऊहापोह की स्थति में आ जा रही तो 1 अरब 20करोंड़(लगभग) देशवासियों की सुरक्षा कैंसे करेगीं। यहाँ तो बस यहीं दिखता हैं कि हावी आतंकवाद-डरी राजनीति , डरे लोग, डरा महकमा, सहमा कारोबार और डरी हुई अर्थव्यवस्था.....................!
सौरभ कु. मिश्र
आर्थिक विश्लेशक
कुछ ऐसा ही हुआ अर्थव्यवस्था के साथ , जब मुद्रास्फिती अपने चरम पे थी तो हम उसके कम होने की बात करते थे। स्फति कम तो हुइ पर अपने साथ नयी समस्या मंदी को ले कर आ गई। जो कुछ ज्यादा ही भयानक रुप लेती जा रही हैं । इस मंदी ने पूरे विश्व में हाहाकार मचा रखा हैं। सच कहें तो पूरी ग्लोबल इकानमी ही इस मंदी राक्षस के
मुंह में समाती जा रही हैं । सरकार नित नये प्रयास करती जा रही हैं पर उसका कुछ खास़ असर नहीं दिखाई देता। और इन सब समस्याओं में घी डालनें का काम कर रहा हैं
यें जेहादी आतंकवाद । जिसकी चपेट में आये हमारे बहुत से उघोग गर्त में जा रहें हैं। आतंकवाद का हौव्वा इतना भयावह हैं कि उसने IPL मैचों पर भी अपना असर दिखा दिया। जिसके परिणाम स्वरुप गृहमंत्रालय ने इसे रद्द करने की ठान ली। मंत्रालय VS बी सी सी आई के इस बहस में IPL मैंचों के आयोंजन से भारत को हाथ धोना पड़ा , जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए पुनः एक दुखद घटना हैं। जिसकी भरपाई के लिए सरकार को अधिक मशक्कत करनी पडे़गी। क्योकिं अर्थव्यवस्था में घटित हो रही घटना
(मंदी) की तुलना यदि हम 1930 से करे तो इसे हम कहीं ज्यादा बड़ा पाते हैं। जिसकी पुष्टि स्वयं वर्ल्ड बैंक के प्रेसिडे़न्ट ने करते हुए कहा हैं कि इस साल अर्थव्यवस्था में 1 से 2 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिल सकती हैं। साथ ही ये बताया कि ‘’दूसरे विश्व युद्ध के बाद पूरी दुनिया में ऐसी बुरी आर्थिक हालत कभी भी देखने को नहीं मिली थी और इसका मतलब है कि हम घोर आर्थिक मंदी के दौर में पहुंच रहें हैं।‘’ भारत भी इस मंदी की चपेट से बचा नहीं हैं ये बात तो सर्वविदित हैं। जिससे कुछ हद तक लड़ने के लिए IPL हमारे पास अच्छा हथियार था । परन्तु इसके सुरक्षा को देखते हुए इसे देश के बाउड्री के बाहर भेजा जा रहा हैं। जो कि अर्थव्यवस्था के लिए तगड़ा झटका हैं। आप सोंच रहें होगें कि IPL किस तरह अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता हैं। तो मैं आप के यादास्त के पन्नों को पलट कर ये याद दिलाना चाहता हूँ कि 26/11 के अनहोनी ने
भारतीय अर्थव्यवस्था के उघोगों को गहरा झटका दिया । इस आग में सबसे ज्यादा होटल, पर्यटन और इससे जुड़े उधोगों को झुलसना पड़ा। इस पर तात्कालिक IPL आयोजन मरहम का काम कर सकता था। परन्तु सरकार के ढुलमुल रवैये ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का जो काम किया हैं निकट समय में उसे स्वंय ही उसकी भरपाई करनी पड़ेगी। इस आयोंजन सें जहाँ सरकार को करोंडों का लाभ होता वही भारतीय मंद पड़े उधोगों कों बूम करने का मौका मिलता । पर यहाँ अब लाभ शब्द का
कोई सारोकार नहीं रहा क्योंकि सरकार के हो रहे करोंड़ो के घाटे के साथ-साथ इस आयोजन से जुड़े सभी उघोग व उघोगपतियों को भी घाटा होने वाला हैं। इसका सीधा प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा । यें वहीं उघोगपति हैं जों बड़ी मात्रा में
अर्थव्यवस्था में निवेश करते हैं। इसके इतर देशवासियों के भावनाओं की भी क्षति होगी।
क्योंकि देशवासियों की यें इच्छा है कि IPL का आयोजन अपने ही देश मे हो। पर देश में ना होना तो दुर्भाग्यपूर्ण तो हैं ही साथ ही इस घटना ने देश की सुरक्षा व्यवस्था पर भी उगली उठाई हैं। कि जब सरकार इन 11 टीमों की सुरक्षा करने में ऊहापोह की स्थति में आ जा रही तो 1 अरब 20करोंड़(लगभग) देशवासियों की सुरक्षा कैंसे करेगीं। यहाँ तो बस यहीं दिखता हैं कि हावी आतंकवाद-डरी राजनीति , डरे लोग, डरा महकमा, सहमा कारोबार और डरी हुई अर्थव्यवस्था.....................!
सौरभ कु. मिश्र
आर्थिक विश्लेशक